नैनीताल, 16 सितंबर (न्यूज हेल्पलाइन) नैनीताल उच्च न्यायालय ने आज वृहस्पतिवार 16 सितंबर को चारधाम यात्रा पर लगे प्रतिबंध हटा को दिया है। मगर कोर्ट ने इन यात्राओं के दौरान कोविड19 नियमों का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है। अदालत ने इसके साथ ही चार धाम यात्रा पर जाने वाले भक्तों के लिए अनिवार्य रूप से कोविड के नकारात्मक रिपोर्ट और दोहरे टीकाकरण प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से संलग्न करने का आदेश दिया है।
नैनीताल उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि चार धाम के यात्रा के दौरान प्रतिदिन केदारनाथ धाम में 800 लोगों से ज्यादा यात्रियों के आने की अनुमति नहीं प्रदान की जाएगी। वैसे ही बद्रीनाथ धाम में अधिकतम 1200 यात्री, गंगोत्री में 600 यात्री और यमुनोत्री धाम में 400 भक्तों को एक दिन में आने की अनुमति दी जाएगी।
ज्ञात हो कि विगत 28 जून को नैनीताल हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। ज्ञात हो कि उस व्यक्त पूरे देश के साथ-साथ उत्तराखंड राज्य में भी कोरोना अपने उच्चतम अवस्था में था। वैसी स्थित में उस वक्त हाई कोर्ट ने माना था कि चारधाम यात्रा वाले ज़िलों में कोविड संबंधी व अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। कोर्ट ने क्षेत्र में डॉक्टरों अन्य सुविधाओं की कमी की ज़िला प्रशासन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए यात्रा पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने विगत 7 सितंबर को चारधाम यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए नैनीताल में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और कोविड की स्थित में सुधार का हवाला देते हुए कोर्ट से चरधाम यात्रा को पुनः प्रारंभ करने देने के लिए छूट प्रदान करने का निर्देश देने को कहा। मगर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दिए गए एसएलपी (Special Leave Petitions) का हवाला देते हुए चार धाम यात्रा की अनुमति नहीं दी थी। आज 16 सितंबर को कोर्ट ने सशर्त चार धाम यात्रा की अनुमति दे दी है।
उत्तराखंड के इस इस चारधाम यात्रा का न सिर्फ भक्तों के लिए महत्व है, बल्कि यह धार्मिक यात्रा उत्तराखंड सरकार के लिए भी काफी महत्व रखती है। चार धाम यात्रा के दौरान राज्य में पर्यटन और रोजगार को बढावा मिलता है, जिससे सरकार को विभिन्न माध्यमों से आय होती है।