अगरतला, 9 फ़रवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन) त्रिपुरा उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा की डाई-इन हार्नेस योजना के तहत अपने पिता की आय पर निर्भर विवाहित बेटियाँ अब सरकारी नौकरी पाने की पात्र होंगी।
मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती और न्यायमूर्ति एस सी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें डाई-इन हार्नेस योजना पर एकल पीठ के आदेश की समीक्षा करने की मांग की गई थी।
पांच अलग-अलग रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने पहले कहा था कि एक विवाहित बेटी, जो अपने पिता की आय पर निर्भर है डाई-इन हार्नेस योजना के तहत सरकारी नौकरी पाने की पात्र है। राज्य सरकार ने एक खंडपीठ के समक्ष एक रिट याचिका दायर कर डाई-इन-हार्नेस योजना पर एकल पीठ के आदेश की समीक्षा करने की मांग की थी।
खंडपीठ ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि विवाहित बेटी को डाई-इन-हार्नेस लाभ से वंचित करना संविधान की भावना के साथ-साथ लैंगिक समानता के खिलाफ है। पांच याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता हरेकृष्ण भौमिक ने बुधवार को फैसले को लैंगिक भेदभाव के खिलाफ जीत करार दिया।
उन्होंने कहा कि अदालत ने सरकार से कहा कि, “वह लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए अगले तीन महीने तक अपने फैसले को उलट दे। हम उच्च न्यायालय को यह समझाने में सक्षम हैं कि सरकार विवाहित बेटी को डाई-इन-हार्नेस मामले के तहत लाभ प्राप्त करने से बाहर नहीं कर सकती है।”
2015 में, राज्य सरकार ने एक अधिसूचना द्वारा विवाहित बेटियों को डाई-इन-हार्नेस लाभ से रोक दिया था।