उत्तर प्रदेश, 2 सितंबर ( न्यूज हेल्पलाइन)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में गोहत्या रोकथाम अधिनियम के तहत अपराध के आरोपी जावेद को बेल देने से मना करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा, गाय भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ हिन्दू ही गाय के महत्व को नहीं समझते हैं, बल्कि मुस्लिम शासनकाल में भी गाय को भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया था।
हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा, गाय को मौलिक अधिकार देने और गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार को संसद में एक विधेयक लाना चाहिए और गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों को दंडित करने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए।इसके साथ ही गौरक्षा का कार्य केवल एक धर्म संप्रदाय का नहीं है, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का कार्य देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक का है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो. इतना ही नहीं गोहत्या पर सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा, सिर्फ बीफ खाने वालों का मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि जो गाय की पूजा करते हैं और आर्थिक रूप से गाय पर निर्भर हैं ऐसे लोगों का भी मौलिक अधिकार है।
कोर्ट ने कहा जीवन का अधिकार मारने के अधिकार से ज्यादा ऊपर है। गाय का मांस खाने को कभी मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा गाय बूढ़ी और बीमार होने पर भी उपयोगी है। गाय का गोबर और मूत्र कृषि दवा बनाने के लिए उपयोगी माना जाता है. गाय की पूजा होती है जो सबसे बढ़कर है।जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा, गाय के वध पर मुस्लिम शासकों ने भी प्रतिबंध लगाया था। मैसूर के नवाब हैदर अली ने गोहत्या को दंडनीय अपराध बना दिया था।
इस मामले पर राजनीतिय प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं।यूपी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, गौरक्षा के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) हम सब संकल्पित हैं। गौ माता के संरक्षण को लेकर हम लगातार संकल्पित हैं।ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था भी है। मंत्री ने कहा, अगर हम हाई कोर्ट के सुझाव पर अमल करेंगे तो विश्व स्तर पर इसका बड़ा विस्तार मिलेगा।