राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं, और यह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। इस महत्वपूर्ण सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया ने शानदार जीत दर्ज की है।
भाया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के मोरपाल सुमन को 15,594 वोटों के बड़े अंतर से हराकर अंता सीट कांग्रेस के पाले में डाल दी है। यह जीत ऐसे समय में आई है जब यह मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा था।
त्रिकोणीय संघर्ष में कांग्रेस का दबदबा
अंता सीट पर 15 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस, बीजेपी और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच था।
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शुरुआत में संघर्ष: मतगणना के शुरुआती चरणों में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा आगे चल रहे थे, जिससे यह त्रिकोणीय संघर्ष काफी रोचक बन गया था।
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अंतिम परिणाम: हालांकि, अंतिम परिणामों में नरेश मीणा तीसरे स्थान पर रहे, जबकि बीजेपी के मोरपाल सुमन दूसरे स्थान पर खिसक गए। प्रमोद जैन भाया शुरुआत से ही बढ़त बनाए रहे, और अंत में 15 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
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बीजेपी का निराशाजनक प्रदर्शन: बीजेपी प्रत्याशी पूरे चुनाव में दूर-दूर तक कोई मजबूत टक्कर देते हुए नजर नहीं आए।
भाया ने लिया पिछली हार का बदला
प्रमोद जैन भाया, जिन्हें कांग्रेस ने एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा था, पिछले चुनाव में इसी सीट पर बहुत कम अंतर से हार गए थे। इस बार, उन्होंने न केवल अपनी पिछली हार का बदला लिया, बल्कि एक निर्णायक जीत दर्ज कर क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ को साबित किया है।
सीएम और सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर
अंता सीट पर हुए उपचुनाव को दोनों पार्टियों ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था।
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सीएम का प्रचार हुआ बेअसर: सूबे के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खुद बीजेपी प्रत्याशी के लिए प्रचार किया था, लेकिन यह प्रचार काम नहीं आया। बीजेपी की करारी हार ने मुख्यमंत्री के प्रचार की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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पायलट की कमान रही सफल: वहीं, कांग्रेस की तरफ से इस सीट पर पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कमान संभाल रखी थी। उनके द्वारा किए गए पूरे चुनाव प्रचार के बाद कांग्रेस को मिली जीत ने उनकी रणनीतिक क्षमता को सफल साबित किया है।
क्यों हुआ अंता में उपचुनाव?
बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान हुआ था। यह सीट बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई थी। मीणा को 2005 में उप सरपंच चुनाव के दौरान एसडीएम पर पिस्टल तानने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके चलते 1 मई 2025 को उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।