मुंबई, 20 मई - कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उससे पड़ने वाले वित्तीय तनाव को देखते हुए सरकारी क्षेत्र के बैंक अब दूसरी बार कर्ज पुनर्व्यवस्था की अनुमति चाह रहे हैं । पिछले साल भी कोविड की वजह से कर्ज पुनर्व्यवस्था की मंजूरी दी गई थी ताकि किस्त का भुगतान नहीं करने वाले खातों डिफॉल्ट की श्रेणी में न आ सकें ।
कोविड महामारी की दूसरी लहर की वजह से सूक्ष्म (SME), लघु उपक्रमों (MSME) और प्रोपराइटरो (PROPRIETOR) पर ज्यादा मार पड़ी है। जिन लोगों ने पिछली बार पुनर्गठन का लाभ लिया था उनकी स्थिति भी अभी अच्छी नहीं नज़र आ रही है।
एक वरिष्ठ बैंकर ने सूत्रों को बताते हुए कहा कि कुछ बैंकों के मुख्य कार्याधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ हुई बैठक में इसे लेकर चिंता जताई है और एक बार फिर से कर्ज पुनर्व्यवस्था की मांग की है।
RBI (आरबीआई) ऐसे कर्ज पुनर्व्यवस्था को मंजूरी देता है तो उससे संबंधित प्रावधान (Provision) को लेकर भी बैठक में चर्चा की गई । ऋणदाताओं ने ऐसे खातों के लिए करीब 5 फीसदी जितने कम प्रावधान रखने की मांग की । पिछले साल दी गई कर्ज पुनर्व्यवस्था की अनुमति में 10 फीसदी प्रावधान यानी फंसे कर्ज की 10 फीसदी राशि अलग रखने के लिए कहा गया था । औपचारिक रूप से और भी कई सुझाव इंडियन बैंक्स एसोसिएशन द्वारा आरबीआई को भेजे गए हैं ।
बैंकों के मुख्य कार्याधिकारियों के साथ हुई पिछली बैठक में आरबीआई के गवर्नर दास ने कहा कि बैंकों को आरबीआई द्वारा हाल ही में घोषित उपायों को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए । बैंको को अपने बहीखातों को दुरुस्त करने पर लगातार ध्यान देते रहना चाहिए । बैठक में छोटे कर्जदारों और MSME (एमएसएमई) सहित कई विभिन्न क्षेत्रों में क्रेडिट फ्लो की भी समीक्षा की गई ।