ताजा खबर
फैक्ट चेक: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के बीच CM धामी ने सरेआम बांटे पैसे? वायरल वीडियो दो साल पुराना...   ||    मिलिए ईशा अरोड़ा से: ऑनलाइन ध्यान खींचने वाली सहारनपुर की पोलिंग एजेंट   ||    आज का इतिहास: 16 अप्रैल को हुआ था चार्ली चैपलिन का जन्म, जानें अन्य बातें   ||    एक मंदिर जो दिन में दो बार हो जाता है गायब, मान्यता- दर्शन मात्र से मिलता मोक्ष   ||    फैक्ट चेक: कानपुर में हुई युवक की पिटाई का वीडियो 'ब्राह्मण पर पुलिसिया अत्याचार' के गलत दावे के साथ...   ||    वानखेड़े स्टेडियम में प्रदर्शन के बाद धोनी ने युवा प्रशंसक को मैच बॉल गिफ्ट की   ||    फैक्ट चेक: मंदिर से पानी पीने के लिए नहीं, फोन चोरी के शक में की गई थी इस दलित बच्ची की पिटाई   ||    Navratri 2024: नवरात्रि के 7वें दिन करें सात उपाय, नौकरी और कारोबार में मिलेगी सफलता   ||    यूपीएससी रियलिटी चेक: उत्पादकता, घंटे नहीं, सबसे ज्यादा मायने रखती है; आईएएस अधिकारी का कहना है   ||    Breaking News: Salman Khan के घर के बाहर हुई फायरिंग, बाइक सवार 2 हमलावरों ने चलाई गोली, जांच में जु...   ||   

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 राज्यसभा में किया पेश

नई दिल्ली, 31 जनवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन)      केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश किया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुए व्यवधानों से वैश्विक स्तर पर औद्योगिक गतिविधियां निरंतर प्रभावित हुईं। वैसे तो भारतीय उद्योग इस मामले में अपवाद नहीं रहे, लेकिन वर्ष 2021-22 में इसके प्रदर्शन में बेहतरी देखी गई है। 

सर्वेक्षण के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था को क्रमिक रूप से खोलने, रिकॉर्ड संख्या में टीकाकरण होने, उपभोक्ता मांग बढ़ने, आत्मनिर्भर भारत अभियान के रूप में सरकार द्वारा उद्योगों को निरंतर नीतिगत सहयोग प्रदान करने एवं वर्ष 2021-22 में आगे और मजबूती मिलने से औद्योगिक क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर हो गया है। इसके तहत वर्ष 2020-21 की प्रथम छमाही की तुलना में वर्ष 2021-22 की प्रथम छमाही में औद्योगिक क्षेत्र की विकास दर 22.9 प्रतिशत दर्ज की गई और चालू वित्त वर्ष में औद्योगिक विकास दर 11.8 प्रतिशत रहने की आशा व्यक्त की गई है।

सर्वेक्षण के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर हो गया है, जो औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के समग्र विकास में नजर आता है। अप्रैल-नवंबर, 2021-22 के दौरान आईआईपी में 17.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि अप्रैल-नवंबर, 2020-21 के दौरान इसमें 15.3 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गई थी। 

निजी कॉरपोरेट क्षेत्र की चुनिंदा सूचीबद्ध कंपनियों के परिणामों पर आधारित RBI के अध्ययन के अनुसार महामारी के बावजूद बड़ी कंपनियों का शुद्ध मुनाफा-बिक्री अनुपात बढ़कर सर्वकालिक उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गया। समग्र कारोबारी माहौल में सुधार के बीच एफडीआई प्रवाह बढ़ने से उद्योग जगत का आउटलुक उत्साहवर्धक प्रतीत होता है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि उद्योगों में उत्पादन स्तर बढ़ाने के लिए ‘उत्पादन पर आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई)’ योजना शुरू करने, भौतिक एवं डिजिटल दोनों ही तरह की अवसंरचना को काफी बढ़ावा देने के साथ-साथ लेनदेन लागत कम करने एवं कारोबार में सुगमता बढ़ाने के लिए निरंतर उपाय करने से आर्थिक रिकवरी की गति बढ़ेगी। राष्‍ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी), राष्‍ट्रीय मुद्रीकरण योजना (एनएमपी) जैसी अनेक पहल की गई है, ताकि अवसंरचना में निवेश का प्रवाह बढ़ सके। 

भारतीय रेलवे के लिए पूंजीगत व्यय को काफी बढ़ा दिया गया है, जो वर्ष 2009-14 के औसतन 45,980 करोड़ रुपये वार्षिक से काफी बढ़कर वर्ष 2020-21 में 155,181 करोड़ रुपए के स्‍तर पर पहुंच गया है और वर्ष 2021-22 में इसके और बढ़कर 215,058 करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है। इसका मतलब यह हुआ कि वर्ष 2014 में किए गए पूंजीगत व्यय की तुलना में पांच गुना वृद्धि हुई है। 

इसके अलावा, सड़कों का दैनिक निर्माण वर्ष 2019-20 के 28 किलोमीटर से काफी बढ़कर वर्ष 2020-21 में 36.5 किलोमीटर हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 30.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर क्षेत्र को भी काफी बढ़ावा देने की शुरुआत की है और इसके साथ ही दूरसंचार क्षेत्र में ढांचागत एवं प्रक्रियागत सुधार लागू किए हैं।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी)- आईआईपी के तहत विनिर्माण क्षेत्र या सेक्‍टर के 23 उप-समूहों का डेटा दिया जाता है। अप्रैल-नवंबर 2021-22 के दौरान सभी 23 सेक्‍टरों में धनात्‍मक वृद्धि दर्ज की गई। प्रमुख औद्योगिक समूहों जैसे कि वस्त्र, पहनने वाले परिधान, विद्युतीय उपकरण, मोटर वाहन में मजबूत रिकवरी दर्ज की गई। वस्‍त्र एवं पहनने वाले परिधान जैसे श्रम बहुल उद्योग का प्रदर्शन बेहतर होना रोजगार सृजन की दृष्टि से काफी मायने रखता है।

आठ कोर सूचकांक (आईसीआई)- अप्रैल-नवंबर 2021-22 के दौरान आईसीआई की वृद्धि दर 13.7 प्रतिशत रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसमें 11.1 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गई थी। आईसीआई में यह वृद्धि मुख्यतः%3A इस्पात, सीमेंट, प्राकृतिक गैस, कोयला एवं बिजली क्षेत्रों का प्रदर्शन बेहतर होने से ही संभव हो पाई है। वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवंबर) की तुलना में वर्ष 2021-22 (अप्रैल-नवम्बर) के दौरान आठ कोर उद्योगों के सूचकांक में शामिल कच्चे तेल एवं उर्वरक को छोड़ इसके लगभग सभी  घटकों में वृद्धि दर्ज की गई है। फरवरी 2020 के स्तर की तुलना में इस्पात, कच्चे तेल, उर्वरक, बिजली एवं प्राकृतिक गैस में बेहतरी दर्ज की गई है। इसके अलावा इस्पात, उर्वरक, बिजली, प्राकृतिक गैस एवं कोयले से जुड़े सूचकांक का मूल्य लॉकडाउन से पहले (नवम्बर 2019) के स्तर से अधिक रहा है।

यह स्पष्ट है कि कोविड-19 के कारण वर्ष 2020-21 की प्रथम तिमाही के दौरान पूंजी उपयोग (सीयू) काफी हद तक घट गया था क्योंकि देश भर में सख्त पाबंदियां लगा दी गई थीं। समग्र स्‍तर पर विनिर्माण क्षेत्र में पूंजी उपयोग वित्त वर्ष 2021 की प्रथम तिमाही में घटकर 40 प्रतिशत रह गया और फिर वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में बढ़कर 69.4 प्रतिशत हो गया। हालांकि, वित्त वर्ष 2022 की प्रथम तिमाही में यह घटकर 60.0 प्रतिशत रह गया है।

उद्योग जगत को ऋण- औद्योगिक क्षेत्र का सकल बैंक ऋण में अक्टूबर 2021 (वर्ष दर वर्ष आधार पर) के दौरान 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि अक्टूबर 2020 के दौरान इसमें 0.7 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गई थी। कुल अखाद्य ऋण में उद्योग जगत की हिस्सेदारी अक्टूबर 2021 में 26 प्रतिशत दर्ज की गई। कुछ विशेष उद्योगों जैसे कि खनन, वस्त्र, पेट्रोलियम, शीत उत्‍पादों एवं परमाणु ईंधन, रबर, प्लास्टिक एवं अवसंरचना के कुल ऋणों में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है।

उद्योगों में एफडीआई- सरकार द्वारा निवेशक अनुकूल एफडीआई नीति बनाने के लिए किए गए उपायों के परिणामस्वरूप एफडीआई प्रवाह बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारत में एफडीआई प्रवाह वर्ष 2014-15 में 45.14 अरब अमेरिकी डॉलर दर्ज किया गया और उसके बाद से इसमें निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है। 

भारत में वर्ष 2020-21 में 81.97 अरब अमेरिकी डॉलर (अनंतिम) का अब तक का सर्वाधिक वार्षिक एफडीआई प्रवाह हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इससे पहले वर्ष 2019-20 के दौरान इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। वर्ष 2021-22 के प्रथम छह महीनों में एफडीआई प्रवाह 4 प्रतिशत बढ़कर 42.86 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 41.37 अरब अमेरिकी डॉलर था। पिछले सात वित्त वर्षों ( 2014-21) के दौरान भारत में 440.27 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्रवाह हुआ है जो पिछले 21 वर्षों के दौरान देश में हुए कुल एफडीआई (763.83 अरब अमेरिकी डॉलर) का लगभग 58 प्रतिशत है।

केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) का प्रदर्शन- 31 मार्च, 2020 तक कुल मिलाकर 256 सीपीएसई में परिचालन जारी था। वर्ष 2019-20 के दौरान परिचालन रत सीपीएसई का कुल शुद्ध मुनाफा 93,295 करोड़ रुपये आंका गया। केन्द्रीय राजकोष में उत्‍पाद शुल्‍क, जीएसटी, कॉरपोरेट टैक्‍स, लाभांश, इत्यादि के रूप में सभी सीपीएसई का योगदान 3,76,425 करोड़ रुपए रहा। 

केन्द्रीय बजट 2021-22 में की गई घोषणाओं के अनुसार सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी दी है, जिससे सभी गैर-रणनीतिक और रणनीतिक सेक्‍टरों में विनिवेश के लिए स्पष्ट खाका सामने आएगा। सीपीएसई के लिए नई सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश 13 दिसंबर, 2021 को अधिसूचित किए गए हैं। इससे सरकार को विनिवेश राशि का उपयोग विभिन्न सामाजिक क्षेत्र और विकास कार्यक्रमों के वित्त पोषण में करने में मदद मिलेगी, जबकि विनिवेश से उन सीपीएसई में निजी पूंजी, प्रौद्योगिकी और सर्वोत्तम प्रबंधन तौर-तरीके बढ़ जाएंगे जिनका विनिवेश किया गया है।

इस्पात- अर्थव्यवस्था के विकास के लिए इस्पात उद्योग का प्रदर्शन काफी अहम है। कोविड-19 से प्रभावित होने के बावजूद इस्पात उद्योग ने अपनी वापसी कर ली है। दरअसल वर्ष 2021-22 (अप्रैल-अक्टूबर) में कच्चे और तैयार इस्पात का कुल उत्पादन क्रमशः%3A 66.91 एमटी और 62.37 एमपी का हुआ जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में क्रमश%3A 25.0 तथा 28.9 प्रतिशत अधिक है, जबकि इस दौरान तैयार इस्पात की खपत पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 25.0 प्रतिशत बढ़कर 57.39 एमटी हो गई है।

कोयला- अप्रैल-अक्टूबर, 2021 में कोयला उत्पादन 12.24 प्रतिशत बढ़ गया, जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2020 के दौरान इसमें 3.91 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई)- एमएसएमई की विशेष अहमियत को इस तथ्य से आंका जा सकता है कि वर्ष 2019-20 में कुल जीवीए (वर्तमान मूल्य) में एमएसएमई जीवीए की हिस्सेदारी 33.08 प्रतिशत थी। सरकार ने एमएसएमई को मजबूती एवं बढ़ावा देने के लिए अनेक पहल की हैं। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 1 जुलाई, 2020 से एमएसएमई की परिभाषा में किए गए संशोधन के अंतर्गत विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिए निवेश एवं वार्षिक कारोबार और समान सीमा का संयोजित पैमाना शुरू किया गया है। (एमएसएमई के लिए कारोबार में सुगमता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा हाल ही में किए गए विभिन्न उपायों में जुलाई 2020 में उद्यम पंजीकरण पोर्टल का शुभारंभ करना भी शामिल है।)

वस्त्र- पिछले दशक में इस उद्योग में लगभग 203,000 करोड़ रुपए निवेश किए गए हैं और लगभग 105 मिलियन लोगों को प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रोजगार मिला है जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। लॉकडाउन से इस उद्योग के काफी प्रभावित होने के बावजूद इसमें उल्लेखनीय रिकवरी देखी गई है। अप्रैल-अक्टूबर 2020 के दौरान विकास में इसका योगदान 3.6 प्रतिशत रहा है, जैसा कि आईआईपी से पता चलता है।

इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स उद्योग- सरकार इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स हार्डवेयर विनिर्माण को उच्च प्राथमिकता दे रही है। अत%3A सरकार ने 25 फरवरी, 2019 को राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स नीति 2019 (एनपीई-2019) को अधिसूचित किया है, ताकि भारत को इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स प्रणाली डिजाइन एवं विनिर्माण (ईएसडीएम) के एक वैश्विक केंद्र के रूप में भारत को स्थापित किया जा सके। हाल ही में सरकार ने सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले विनिर्माण व्यवस्था के विकास के लिए 76,000 करोड़ रुपए (10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक) के परिव्यय को मंजूरी दी है। इस उद्योग को बढ़ावा देने का कदम सरकार ने ऐसे समय में उठाया है जब आपूर्ति श्रृंखलाओं में  व्यापक व्यवधान के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में सेमीकंडक्टर की भारी किल्लत महसूस की जा रही थी।

फार्मास्‍युटिकल्‍स- भारतीय फार्मास्‍युटिकल्‍स उद्योग को कुल मात्रा के आधार पर फार्मास्‍युटिकल्‍स उत्पादन के मामले में पूरी दुनिया में तीसरी रैंकिंग प्रदान की गई है। भारत जेनेरिक दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है जिसकी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी वैश्विक आपूर्ति में है और जिसके बल पर भारत को ‘दुनिया का दवा उद्योग’ कहा जाता है। पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2020-21 में  फार्मास्‍युटिकल्‍स क्षेत्र में एफडीआई अचानक काफी तेजी से बढ़ा जो 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। फार्मास्‍युटिकल्‍स क्षेत्र में विदेशी निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि मुख्यतः%3A दवाओं एवं टीकों की कोविड संबंधी मांग को पूरा करने के लिए किए गए व्यापार निवेश से ही संभव हो पाई है।

राष्‍ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी)- अवसंरचना में सार्वजनिक-निजी भागीदारी इस सेक्टर में निवेश का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही है। अवसंरचना में निजी भागीदारी पर विश्व बैंक के डेटाबेस के अनुसार पीपीपी परियोजनाओं की कुल संख्‍या के साथ-साथ संबंधित निवेश की भी दृष्टि से विकसित देशों में भारत को दूसरी रैंकिंग प्रदान की गई है।

पीपीपी परियोजनाओं का आकलन करने वाली सार्वजनिक-निजी भागीदारी आकलन समिति (पीपीपीएसी) ने वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2020-21 तक 137218 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत वाली 66 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। सरकार ने वित्तीय दृष्टि से अलाभप्रद, लेकिन सामाजिक/आर्थिक दृष्टि से अपेक्षित पीपीपी परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कम पड़ रही राशि के वित्तपोषण (वीजीएफ) वाली योजना शुरू की। इस योजना के तहत कुल परियोजना लागत के 20 प्रतिशत तक का वित्त पोषण अनुदान के रूप में किया जाता है।

वर्ष 2024-25 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी प्राप्त करने के लिए भारत को इन समस्त वर्षों के दौरान लगभग 1.4 ट्रिलियन डॉलर का व्यय करने की जरूरत है। वर्ष 2020-2025 के दौरान अवसंरचना में लगभग 111 लाख करोड़ रुपये (1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) के अनुमानित निवेश वाली राष्‍ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) का शुभारंभ किया गया, ताकि देश भर में विश्‍व स्‍तरीय अवसंरचना सुलभ हो सके। ज्ञात हो कि एनआईपी का शुभारंभ 6835 परियोजनाओं के साथ किया गया जिनकी संख्या बढ़ाकर 9000 से भी अधिक कर दी गई है और जो 34 अवसंरचना उप-क्षेत्रों को कवर करती हैं।

राष्‍ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी)- एक मजबूत परिसम्पत्ति पाइपलाइन ‘एनएमपी’ को तैयार किया गया है, ताकि अवसंरचना के निवेशकों एवं डेवलपरों को इस बारे में व्यापक तस्वीर पेश की जा सके। केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों के लिए एनएमपी का कुल सांकेतिक मूल्य चार वर्षों की अवधि में 6.0 लाख करोड़ रुपए (एनआईपी के तहत परिकल्पित कुल अवसंरचना निवेश का 5.4 प्रतिशत) रहने का अनुमान लगाया गया है।

सड़क परिवहन- सड़क अवसंरचना को सामाजिक-आर्थिक एकीकरण का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है और देश में आर्थिक विकास के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है। वर्ष 2013-14 से ही राष्‍ट्रीय राजमार्गों / सड़कों के निर्माण में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्ष 2020-21 में 13,327 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया गया है, जबकि वर्ष 2019-20 में 10,237 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया गया था और जो पिछले वर्ष की तुलना में 30.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

रेलवे- रेलवे में वर्ष 2014-2021 के दौरान नई लाइनों और बहु-पटरी परियोजनाओं के जरिए नई पटरियों में प्रति वर्ष 1835 किलोमीटर लंबी पटरियां जोड़ी गईं, जबकि वर्ष 2009-2014 के दौरान प्रतिदिन औसतन 720 किलोमीटर लंबी पटरियां जोड़ी गई थीं। भारतीय रेलवे (आईआर) नई स्वदेशी प्रौद्योगिकी जैसे कि कवच, वंदे भारत रेलगाड़ियों और स्टेशनों के पुनर्विकास पर फोकस कर रही है, ताकि ज्यादा सुरक्षित एवं सुखद यात्रा सुनिश्चित की जा सके। वित्त वर्ष 2021 के दौरान भारतीय रेलवे ने 1.23 अरब टन माल की ढुलाई की और 1.25 अरब यात्रियों को सफर कराया है।भारतीय रेलवे के लिए पूंजीगत खर्च को वर्ष 2009-2014 के औसतन 45,980 करोड़ रुपए वार्षिक से काफी बढ़ाकर वर्ष 2021-22 (बजट अनुमान) के दौरान 2,15,058 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

नागरिक विमानन- भारत दुनिया के एक सबसे तेजी से विकसित हो रहे विमानन बाजार के रूप में उभरकर सामने आया है। भारत में घरेलू यातायात वर्ष 2013-14 के लगभग 61 मिलियन से दोगुना से भी अधिक बढ़कर वर्ष 2019-20 में लगभग 137 मिलियन के स्‍तर पर पहुंच गया है जो वार्षिक 14 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि को दर्शाता है। भारत सरकार ने विमानन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल की हैं जिनमें महामारी की पहली लहर के कमजोर होने के साथ ही घरेलू क्षेत्र को सुव्‍यवस्थित ढंग से खोलना, विशेष देशों के साथ हवाई परिवहन बबल या हवाई यात्रा व्‍यवस्‍थाओं की शुरुआत करना, एयर इंडिया का विनिवेश, हवाई अड्डों का निजीकरण एवं आधुनिकीकरण / विस्तारीकरण, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना ‘उड़ान’ को बढ़ावा देना, रखरखाव, मरम्मत एवं कायाकल्प (एमआरओ) परिचालन को बढ़ावा देना इत्यादि शामिल हैं।

इसके अलावा मानव रहित विमान प्रणाली (यूएएस), जिसे ड्रोन के रूप में भी जाना जाता है, से अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को व्यापक लाभ हो रहे हैं। सरकार ने अगस्त 2021 में ड्रोन नियम 2021 को उदार बना दिया और 15 सितंबर 2021 को ड्रोन के लिए पीएलआई योजना शुरू की है। अत%3A नीतिगत सुधार से नवोदित ड्रोन क्षेत्र के व्यापक विकास को बढ़ावा मिलेगा। अक्टूबर 2021 में कुल हवाई कार्गो बढ़कर 2.88 लाख एमटी को छू गया जो कोविड पूर्व स्तर (2.81 लाख एमटी) से अधिक है।

बंदरगाह- किसी भी अर्थव्यवस्था में बंदरगाह क्षेत्र का प्रदर्शन उस अर्थव्यवस्था को व्यापक की दृष्टि से प्रतिस्पर्धी बनाने में काफी मायने रखता है। 13 प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता मार्च 2014 के आखिर में 871.52 मिलियन टन सालाना (एमटीपीए) थी जो मार्च 2021 के आखिर तक 79 प्रतिशत बढ़कर 1560.61 एमटीपीए के स्‍तर पर पहुंच गई। 

जुलाई 2021 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक योजना को मंजूरी दी है जिसके तहत मंत्रालयों और सीपीएसई द्वारा जारी की गई वैश्विक निविदाओं के तहत भारत की शिपिंग कंपनियों को पांच वर्षों की अवधि के दौरान 1624 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई है, ताकि भारत में वाणिज्यिक जहाजों को बढ़ावा दिया जा सके।

वैश्विक समुद्री क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने के उद्देश्य से मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 (एमआईवी 2030) को मार्च 2021 में जारी किया गया, जो अगले दशक में भारत के समुद्री क्षेत्र का समन्वित एवं त्वरित विकास सुनिश्चित करने वाला ब्लू प्रिंट है। 

अंतर्देशीय जलमार्ग- अंतर्देशीय पोत अधिनियम, 2021 के जरिए नियामकीय संशोधन के तहत 100 वर्ष से भी अधिक पुराने अंतर्देशीय पोत अधिनियम, 1917 को प्रतिस्थापित किया गया और अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में नए युग का सूत्रपात हुआ।

दूरसंचार- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार है। भारत में कुल टेलीफोन ग्राहक संख्या मार्च 2014 के 933.02 मिलियन से बढ़कर मार्च 2021 में 1200.88 मिलियन के स्‍तर पर पहुंच गई है। मार्च 2021 में 45 प्रतिशत ग्राहक ग्रामीण भारत में थे और 55 प्रतिशत ग्राहक शहरी क्षेत्रों में थे। भारत में इंटरनेट की पहुंच सतत रूप से बढ़ रही है। इंटरनेट ग्राहकों की संख्या मार्च 2015 के 302.33 मिलियन से बढ़कर जून 2021 में 833.71 मिलियन के स्‍तर पर पहुंच गई।

मोबाइल टावरों की संख्या भी काफी बढ़कर दिसम्बर 2021 में 6.93 लाख के स्‍तर पर पहुंच गई है जो यह दर्शाता है कि दूरसंचार ऑपरेटरों ने इस क्षेत्र में मौजूद क्षमता का पूरा उपयोग किया है और संबंधित अवसंरचना का निर्माण करने में इस अवसर का उपयोग किया है, जो सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान को बढ़ावा देने में अहम साबित होगी। महत्‍वपूर्ण भारतनेट परियोजना के तहत 27 सितम्‍बर, 2021 तक 5.46 लाख किलोमीटर लंबी ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है, कुल मिलाकर 1.73 लाख ग्राम पंचायतों (जीपी) को ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) से कनेक्‍ट किया गया है और 1.59 लाख ग्राम पंचायत ओएफसी पर संबंधित सेवा के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक व्यापक दूरसंचार विकास योजना (सीटीडीपी) और द्वीपों के लिए व्यापक दूरसंचार विकास योजना लागू कर रही है, ताकि अब तक इससे वंचित गांवों के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र स्थित राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके। ढांचागत एवं प्रक्रियागत सुधार सुनिश्चित करने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। इन सुधारों से 4जी के विस्तार को बढ़ावा मिलेगा, तरलता आएगी और 5जी नेटवर्कों में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा।

पेट्रोलियम, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस- वर्ष 2020-21 के दौरान कच्चे तेल एवं संघनित का उत्पादन 30.49 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) का हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान प्राकृतिक गैस का उत्पादन 28.67 अरब घन मीटर (बीसीएम) का हुआ, जबकि वर्ष 2019-20 में 31.18 बीसीएम का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2020-21 के दौरान 221.77 एमएमटी कच्चे तेल का प्रसंस्‍करण हुआ जबकि वर्ष 2019-20 के दौरान 254.39 एमएमटी कच्चे तेल का प्रसंस्‍करण हुआ था जो वर्ष 2020-21 के लिए तय 251.66 एमएमटी के लक्ष्य का 88.1 प्रतिशत है।

पेट्रोलियम क्षेत्र ने कोविड-19 के कारण लगाई गई लॉकडाउन अवधि के दौरान देश भर में ईंधन की आपूर्ति बनाए रखते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 10 अगस्त 2021 को देश भर में प्रधानमंत्री उज्‍ज्‍वला योजना ‘उज्‍ज्‍वला 2.0’  के दूसरे चरण का शुभारंभ किया गया ताकि पहली बार प्रथम मुफ्त गैस फिलिंग एवं स्टोव देने के साथ-साथ 1 करोड़ अतिरिक्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए जा सकें।

बिजली- भारत में बिजली क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिला है। देश में पहले जहां बिजली की भारी किल्लत होती थी वहीं अब बिजली की मांग पूर्णतया%3A पूरी की जा रही है। कुल अधिस्‍थापित बिजली क्षमता और स्‍व-उपयोग वाले विद्युत संयंत्र (1 मेगावाट एवं उससे अधिक की मांग वाले उद्योग) की क्षमता 31 मार्च, 2021 को 459.15 जीडब्‍ल्‍यू थी, जबकि 31 मार्च, 2020 को यह क्षमता 446.35 जीडब्‍ल्‍यू थी और जो 2.87 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

नवीकरणीय ऊर्जा- भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता वृद्धि के मामले में सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है। पिछले 7.5 वर्षों के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता 2.9 गुना और सौर ऊर्जा की क्षमता 18 गुना से भी अधिक बढ़ गई है। नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी को सुविधाजनक बनाने और भावी आवश्यकताओं के लिए ग्रिड को नया स्वरूप प्रदान करने के लिए हरित ऊर्जा कॉरिडोर (जीईसी) परियोजनाएं शुरू की गई हैं। राज्‍य के भीतर 9700 सीकेएम पारेषण लाइनों की लक्षित क्षमता के जीईसी और 22,600 एमवीए क्षमता के उप-केंद्रों वाले दूसरा घटक जून, 2022 तक पूरा हो जाने की आशा है।

Posted On:Monday, January 31, 2022


लखनऊ और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Lucknowvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.